MAA (THE GODDESS)


मैंने पूछा कलम से कुछ लिख दे तेरे बारे में 
                  कहने लगा 
जिसकी खुदा भी पूजा करता है क्या लिख्खु उसके बारे में
इतने सुन्दर है सब्द नहीं ,न इतनी अच्छी बोली है
उसके संग रोज़ दिवाली है उसके संग हर दिन होली है  


जब आँख भी ना खुली थी,
तब भी माँ से साँसें से जुडी थी।
मेरी सूरत को देखने को,
उसने सालों मुरादें करी थी।

सब्दो में ब्यान ना हो सके,ऐसी वो मूरत है
हर घर में रहती है माँ, भगवन की सूरत हैं
जो करती रहती दुआ परिवार की
वो लाखों दुआओ से ज्यादा खूबसूरत है

जिसकी गोद में सर रखकर बचपन काटा
मेरी गलतियों पर जिसने मुझे लगाया चाटा।
जिसकी आँखों के आशू थामते ना थे
कभी जो पैरों में लगता था छोटा सा काटा।


कभी बैठा जो पास में माँ के, तो बोली सर पर हाथ फ़िराक़े 
ख्याल रखाकर अपना बेटा, बस तुझसे है अरमान जहां के 
लाख बताई कमी जहां ने पर माँ को सब अच्छा लगता है 
लाख बुरा लाल माँ का उसको वो सच्चा लगता है 

उम्र बड़ी में बड़ा हो गाया, अपने पैरों पर खड़ा हो गया
मेरा सारा बचपन हवा हो गया, गिरता था अब खड़ा हो गया।
माँ की उम्र भी बीत गई, प्यार मेरा फिर हरा हो गया।
माँ का प्यार ना होगा अब , क्यों इतनी जल्दी बड़ा हो गया ।



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